सड़क चौड़ीकरण पर टकराए हित: व्यापारियों की चिंता, युवाओं का अभियान, चौड़ीकरण पर कितना तैयार प्रशासन??

Chandrakant Pargir

 


बैकुंठपुर। कोरिया जिले के मुख्यालय बैकुंठपुर में सड़क चौड़ीकरण का मुद्दा फिर एक बार गरमाया हुआ है। यह मुद्दा अब केवल यातायात, सुविधा या विकास का नहीं रहा, बल्कि राजनीति, व्यापार और आमजनजीवन से जुड़ा एक संवेदनशील विषय बन गया है।


राजनीतिक पृष्ठभूमि: मुद्दा किसका?

साल 2020 में जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के युवाओं ने मिलकर सड़क चौड़ीकरण के लिए अभियान चलाया था। युवाओं ने जिले के तमाम नेताओं से समर्थन मांगा, जो उन्हें मिला भी। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने इस प्रस्ताव को बजट में स्थान दिया।

हालांकि, कांग्रेस की यह पहल व्यापारियों को रास नहीं आई। उन्हें बिना संवाद के लिया गया फैसला लगा, जिससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाया। विधानसभा चुनाव में व्यापारी वर्ग ने कांग्रेस से दूरी बना ली। परिणामस्वरूप कांग्रेस की सरकार चली गई।  भाजपा सरकार आने के बाद अब वही नेता, जो कभी चौड़ीकरण के विरोधी थे, आज इसके पक्षधर नजर आने लगे हैं। लेकिन व्यापारी वर्ग से अब तक कोई स्पष्ट संवाद नहीं हुआ, जिससे उनका असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर वर्तमान में प्रशासन हर हाल में सड़क चौड़ीकरण के पक्ष में है, इसके लिए बीते 11 महीने से राजधानी में अटकी फ़ाइल को स्वीकृत करवाने में एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।


व्यापारियों की चिंता: “हम कहाँ जाएं?”

सड़क किनारे दुकानों के मालिकों की चिंता जायज है। कुछ दुकानों का पूरा अस्तित्व ही खत्म हो सकता है यदि चौड़ीकरण होता है। व्यापारी कह रहे हैं:

> “हम विकास के विरोध में नहीं हैं, पर हमारी भी सुनी जाए। एक बार बता दिया जाए कि कब और कैसे चौड़ीकरण होगा।”

कई व्यापारियों का यह भी कहना है कि शहर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भविष्य में एक रिंग रोड की जरूरत है, ताकि ट्रैफिक का दबाव मुख्य बाजार पर न पड़े और व्यापार भी सुरक्षित रहे।




युवाओं की आवाज: सोशल मीडिया पर छेड़ा मोर्चा

इधर, एक बार फिर शहर के युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से चौड़ीकरण के पक्ष में आवाज बुलंद की है। उनका कहना है कि

> “शहर का मुख्य मार्ग इतना संकरा है कि रोज जाम से जूझना पड़ता है। चौड़ीकरण जरूरी है, नहीं तो शहर का भविष्य जाम में उलझ जाएगा।”


शहर की यातायात स्थिति

बीते 20 वर्षों में कई कलेक्टर आए और गए। हर बार नपाई होती है, सर्वे होता है, आश्वासन दिया जाता है, फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। नगर पालिका कॉम्प्लेक्स से फव्वारा चौक तक और महलपारा मोड़ ऐसे स्थान हैं जहां प्रतिदिन ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। शहर में पार्किंग की बड़ी समस्या है, पार्किंग के लिए जगह का आभाव है, सुव्यवस्थित पार्किंग नही होंने से जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है।


बाईपास से व्यापार को झटका

बैकुंठपुर से गुजरने वाली नेशनल हाईवे को शहर के बाहर बाईपास कर दिया गया। इसके बाद जिले का विभाजन हुआ और व्यापार को बड़ा झटका लगा। चरचा कॉलरी और आसपास के गांवों के लोग सूरजपुर और अंबिकापुर जाने लगे, जिससे बैकुंठपुर की व्यावसायिक गतिविधियां कमजोर हुईं। अब अम्बिकापुर से मनेन्द्रगढ़ जाने वाले भी बाईपास से निकल जाते हैं। इससे शहर में भीड़ कम हो गई, और व्यापारियों को गिरते कारोबार का सामना करना पड़ रहा है।


सड़क के किनारे नाली और टाइल्स: चौड़ीकरण की संभावना संकुचित

वर्तमान में नगर पालिका द्वारा सड़क किनारे नाली निर्माण और टाइल्स लगाने जैसे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे चौड़ीकरण की संभावनाएं और सीमित हो गई हैं। इससे व्यापारी और युवा दोनों ही वर्ग असमंजस में हैं।


बहरहाल, अब सवाल यह है कि भाजपा सरकार कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए इस मुद्दे को जमीनी स्तर पर कैसे सुलझाती है? क्या चौड़ीकरण होगा? क्या व्यापारी वर्ग को मुआवजा, पुनर्वास या कोई विकल्प मिलेगा? और क्या शहर को ट्रैफिक और विकास की एक समुचित योजना मिल पाएगी?


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