कोरिया 11 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के गृह जिले मनेन्द्रगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही ने एक आदिवासी युवक की जान ले ली। कोड़ा मेंड्रा निवासी हरिशंकर की देर रात कोरिया जिला अस्पताल में मौत हो गई। इस घटना से कोड़ा मेंड्रा में आक्रोश फैला हुआ है और मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
बिना जांच के रेफर, मौत का जिम्मेदार कौन?
जानकारी के अनुसार, गुरुवार को हरिशंकर अचानक घर में अचेत होकर गिर पड़ा, उसकी आंखें पलट गईं और शरीर सुस्त हो गया। परिजनों ने आनन-फानन में उसे मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने बिना बीपी और शुगर की जांच किए, मात्र एक बोतल चढ़ाई और उसे तत्काल कोरिया जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।
कोरिया जिला अस्पताल में हरिशंकर की जब जांच हुई तो उसका शुगर लेवल मात्र 30 और बीपी काफी बढ़ा हुआ निकला। चिकित्सकों ने तत्काल उपचार शुरू किया, जिससे थोड़ी देर के लिए उसकी चेतना लौटी, लेकिन कुछ समय बाद वह फिर अचेत हो गया।
आईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी, लेकिन नहीं बच सकी जान
जिला अस्पताल कोरिया में देर रात तक एमडी मेडिसिन डॉ. ए.के. सिंह और डॉ. इमरान आईसीयू में हरिशंकर के उपचार में जुटे रहे। उन्होंने हर संभव प्रयास किया, लेकिन हालत बिगड़ती गई और देर रात हरिशंकर ने दम तोड़ दिया।
स्वास्थ्य मंत्री के जिले की हकीकत उजागर
यह घटना बेहद विडंबनात्मक है क्योंकि मनेन्द्रगढ़ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला है। जहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, वहीं पर एक आदिवासी युवक की जान सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि उसे प्राथमिक इलाज भी नहीं मिल पाया।
चिरमिरी जिला अस्पताल को दरकिनार कर पुराने सिस्टम से रेफर
विशेषज्ञों का कहना है कि मनेन्द्रगढ़ जिला, जो अब एमसीबी (मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर) जिला बन चुका है, उसमें मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटित चिरमिरी जिला अस्पताल मौजूद है। लेकिन अफसोस, गंभीर मरीजों को वहां न भेजकर अविभाजित कोरिया जिला अस्पताल भेजा जा रहा है, जैसे पुराने समय में होता था।
जनता में गुस्सा, लापरवाह स्टाफ पर हो कार्रवाई
हरिशंकर की मौत को लेकर स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि यदि मनेन्द्रगढ़ अस्पताल में समय रहते उसकी शुगर और बीपी की जांच कर ली जाती और जरूरी इलाज दिया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।
इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है और यह सवाल उठता है कि जब स्वास्थ्य मंत्री का खुद का गृह जिला ऐसी लापरवाही झेल रहा है, तो प्रदेश के अन्य इलाकों में क्या हाल होगा? अब मांग है—लापरवाही करने वाले स्टाफ पर हो सख्त कार्रवाई और चिरमिरी अस्पताल को सक्रिय किया जाए।