कोरिया, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में भारी भ्रष्टाचार और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है। इनसाइड स्टोरी से मिली जानकारी के अनुसार, टाइगर रिज़र्व के सोनहत और रामगढ़ परिक्षेत्र में बिना किसी तकनीकी मंजूरी और पर्यावरणीय मूल्यांकन के स्टॉपडेम का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिन परियोजनाओं की राशि मार्च महीने में ही आहरित कर ली गई थी, उन पर अब जाकर काम शुरू किया गया है, वो भी फटाफट और मनमाने तरीके से।
रामगढ़ परिक्षेत्र में पेड़ों का कत्लेआम
रामगढ़ परिक्षेत्र के खैरवारी पारा के नीचे बहने वाले नाले पर बनाए जा रहे स्टॉपडेम के लिए तकनीकी मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मौके पर मौजूद मिस्त्री और वन विभाग के कर्मचारी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि उनके पास न तो कोई नक्शा है और न ही कोई इस्टीमेट। निर्माण कार्य पूरी तरह से बिना किसी योजना के किया जा रहा है।
यहां तक कि निर्माण के लिए सहारे के तौर पर सैकड़ों छोटे-छोटे पेड़ों की बलि दे दी गई है। उन्हें काटकर लकड़ियों का उपयोग स्टॉपडेम की मजबूती के नाम पर किया गया है। जबकि टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में यह स्पष्ट नियम है कि गिरी हुई लकड़ी तक उठाना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में पेड़ काटकर निर्माण करना गंभीर पर्यावरणीय अपराध है।
सोनहत से रामगढ़ तक नियमों की अनदेखी
सोनहत परिक्षेत्र के पैरी नदी के आगे वाले नाले पर भी बिना किसी योजना के स्टॉपडेम निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य में जेसीबी और अजाक्स जैसी भारी मशीनें दिन-रात लगी हुई हैं, जिससे न केवल वन्यजीवों का प्राकृतिक निवास बाधित हो रहा है, बल्कि पूरे जंगल की शांति भी भंग हो रही है।
गिट्टी उखड़ रही, निर्माण जारी
रामगढ़ परिक्षेत्र में बनाए जा रहे स्टॉपडेम की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। निर्माण के कुछ ही दिनों में जगह-जगह से गिट्टी उखड़ने लगी है। इसके बावजूद विभागीय अमला आंखें मूंदकर काम को "पूरा" करने में जुटा हुआ है। निर्माण के लिए रेत भी उसी नाले से अवैध रूप से निकाली जा रही है, जिससे नाले की जैविक संरचना को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
ई-कुबेर प्रणाली को भी किया गया गुमराह
राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार रोकने के लिए लागू की गई ई-कुबेर प्रणाली को भी इस मामले में चकमा दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि मार्च महीने में ही स्टॉपडेम निर्माण के लिए फर्जी मजदूरों के नाम पर राशि आहरित कर ली गई थी। अब जब मीडिया और स्थानीय जागरूक लोगों की नजर इस पर पड़ी, तो आनन-फानन में बिना किसी तैयारी और तकनीकी अनुमति के काम शुरू कर दिया गया।
बड़े खुलासे की संभावना, जांच की मांग
इन मामलों से स्पष्ट है कि गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता और पर्यावरणीय कानूनों की अनदेखी की गई है। यदि मार्च में बुक की गई राशि और उसके उपयोग की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तो रामगढ़ और सोनहत परिक्षेत्र से जुड़े कई बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ की सबसे संवेदनशील और जैव विविधता से भरपूर टाइगर रिज़र्व में इस प्रकार की लापरवाही न केवल सरकार की योजनाओं की साख को चोट पहुंचाती है, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा बन सकती है। समय रहते यदि कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह घोटाला जंगल के भविष्य पर भारी पड़ सकता है।