स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल! मरीज़ों को बिना जांच के कर रहे रेफर, चिरमिरी अस्पताल बना दिखावे का

Chandrakant Pargir

 


कोरिया। 

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के गृह जिले मनेन्द्रगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली खुलकर सामने आ रही है। हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया, जिसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलकर रख दी है।


कोड़ा मेंड्रा निवासी हरिशंकर की जान से हो सकता था खिलवाड़


मनेन्द्रगढ़ के पास ग्राम कोड़ा मेंड्रा निवासी हरिशंकर अचानक बेसुध हो गया। उसकी आंखें पलट गईं और वह बोलने में भी असमर्थ हो गया। परिजन उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेन्द्रगढ़ लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने न तो बीपी नापा, न ही शुगर की जांच की, बस एक बोतल चढ़ाकर उसे सीधे दूसरे जिला कोरिया जिला अस्पताल रेफर कर दिया।


जब हरिशंकर को कोरिया जिला अस्पताल लाया गया, तो प्राथमिक जांच में उसका शुगर लेवल 30 और बीपी अत्यधिक बढ़ा हुआ पाया गया। तत्काल दवाएं दी गईं, जिससे उसकी हालत में सुधार आया और चेतना लौटी। समय रहते उचित इलाज न मिलता, तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी।


एमसीबी से रेफर मरीजों की भरमार, चिरमिरी अस्पताल बना 'नाम का जिला अस्पताल'



यह कोई एक मामला नहीं है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले से लगातार रेफर मरीज कोरिया जिला अस्पताल भेजे जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि MCB जिले का जिला अस्पताल चिरमिरी में मुख्यमंत्री के हाथों शुभारंभ के बावजूद वहां गंभीर मरीजों को रेफर नहीं किया जा रहा है। इसके बजाय उन्हें पुराने तरीके से सीधे कोरिया भेजा जा रहा है, जैसे यह अब भी अविभाजित जिला हो।


स्वास्थ्य मंत्री की सौगातें सिर्फ कागजों पर?


कहने को तो स्वास्थ्य मंत्री ने अपने जिले में विकास और स्वास्थ्य सुविधाओं की झड़ी लगा दी है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। अगर मंत्री जी के ही जिले में मरीजों को बिना जांच के बाहर भेजा जा रहा है, तो प्रदेश के अन्य इलाकों की स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।


एमसीबी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर उठते सवाल


इस तरह के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी है कि जब जिला अस्पताल चिरमिरी मौजूद है, तो मरीजों को वहां क्यों नहीं भेजा जा रहा? क्या वहां डॉक्टरों की कमी है? या फिर वह अस्पताल केवल उद्घाटन तक ही सीमित रह गया है?


अब जरूरत है ठोस कार्रवाई की

जनता अब उम्मीद कर रही है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री स्वयं इन मामलों को गंभीरता से लें और अपने गृह जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएं। वरना यह बदइंतजामी किसी दिन किसी की जान ले सकती है।





 

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