रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने प्रदेश के स्कूलों के संचालन में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। फेडरेशन ने कहा कि एक ही स्कूल तीन अलग-अलग नाम और सेटअप से संचालित हो रहा है, जिससे वेतन भुगतान एवं सेवानिवृत्त/दिवंगत शिक्षकों व कर्मचारियों के अंतिम दावों के निपटान में गंभीर समस्याएं आ रही हैं।
फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं उप प्रांताध्यक्ष राजेंद्र सिंह दद्दा ने जानकारी दी कि स्कूल शिक्षा विभाग में एक ही स्कूल का यूडाइस और फर्म्स एवं सोसाइटी में अलग-अलग पंजीयन है। वहीं दो अलग-अलग समितियों — एक प्रभारी मंत्री द्वारा नियुक्त समिति और दूसरी जिला कलेक्टर के अधीन समिति — के जरिये प्रबंधन हो रहा है। इसी कारण वेतन और अन्य वित्तीय व्यवस्थाएं भी जटिल हो गई हैं।
फेडरेशन ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के समय में सेजेस स्कूलों को राज्य शासन के अधीन लाने की घोषणा हुई थी, लेकिन अब इन्हीं स्कूलों को "पीएम श्री स्कूल" के रूप में नामित किया गया है। फेडरेशन की मांग है कि इन सभी स्कूलों का नाम एक समान "पीएम श्री स्कूल" रखा जाए और अलग-अलग बजट एवं सेटअप समाप्त कर एकीकृत व्यवस्था लागू की जाए।
उन्होंने बताया कि सेजेस स्कूलों में शिक्षकों का वेतन डीएमएफ फंड से चेक द्वारा, नियमित स्कूलों में ट्रेजरी से और पीएम श्री स्कूलों में अलग बजट से होता है। कई स्कूलों में दो-दो प्राचार्य कार्यरत हैं तथा शिक्षक एवं कर्मचारियों का सेटअप भी अलग-अलग है।
राजेश चटर्जी ने बताया कि सेवानिवृत्त और दिवंगत कर्मचारियों के अंतिम दावों का भुगतान अन्य स्कूलों के रिक्त पदों से किया जा रहा है, जो भविष्य में पदोन्नति से रिक्त पद भरने के बाद समस्या उत्पन्न कर सकता है।
फेडरेशन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मांग की है कि प्रदेश के सभी संबंधित स्कूलों का नाम "पीएम श्री स्कूल" रखा जाए, साथ ही एक समान भर्ती नियम, एक सेटअप और एक वेतन मद निर्धारित किया जाए, ताकि संचालन में पारदर्शिता और सुगमता आ सके।