इनसाइड स्टोरी की खबर का बड़ा असर: टाइगर रिजर्व में निर्माण घोटाले की जांच के लिए पहुंची 6 सदस्यीय एटीआर टीम

Chandrakant Pargir

 


कोरिया। 11 अप्रैल। गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में बिना तकनीकी स्वीकृति के स्टॉपडेम निर्माण और मार्च में ही राशि आहरण के खुलासे के बाद इनसाइड स्टोरी की खबर ने बड़ा असर दिखाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार हरकत में आई और एटीआर (अचानक टाइगर रिजर्व) से 6 सदस्यीय जांच दल को तत्काल कोरिया भेजा गया। गुरुवार को बैकुंठपुर पहुंची यह टीम शुक्रवार को सोनहत परिक्षेत्र के सुखतरा पहुंची, जहां पहले से आंशिक रूप से बना हुआ एक स्टॉपडेम दिखाकर यह तर्क देने की कोशिश की गई कि कार्य मार्च से पहले से चल रहा था।



टीम ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पहले सभी दस्तावेज मंगवा लिए हैं और जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। अनौपचारिक बातचीत में एक सदस्य ने माना कि इस तरह एडवांस में भुगतान किया जाना प्रक्रिया का उल्लंघन है। जांच पूरी करने के बाद टीम सोनहत और रामगढ़ परिक्षेत्र के कुल 6 स्टॉपडेम स्थलों का निरीक्षण करेगी।


घोटाले की जड़: पहले राशि निकासी, बाद में शुरू हुआ निर्माण


जांच का केंद्र बिंदु यही है कि टाइगर रिजर्व में जिन स्टॉपडेम का निर्माण अब शुरू हुआ है, उनकी राशि मार्च में ही निकाल ली गई थी। ई-कुबेर प्रणाली के तहत जहां पारदर्शिता लाने का दावा किया जाता है, वहीं इस मामले में उसी प्रणाली को चकमा देकर रकम निकाली गई। मजदूरों के नाम ऑनलाइन दर्ज कर राशि रिलीज की गई और अब जब मामला सार्वजनिक हुआ, तो हड़बड़ी में निर्माण कार्य शुरू कर उसे "पूर्व आरंभ" बताने की कोशिश की जा रही है।



गुणवत्ता और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी


जांच की दृष्टि से सबसे चिंताजनक पहलू है निर्माण की गुणवत्ता और पर्यावरणीय नियमों की धज्जियां उड़ाया जाना। जिन स्टॉपडेम का निर्माण किया जा रहा है, उनमें बिना किसी तकनीकी योजना, नक्शा, या इस्टीमेट के काम हो रहा है। Mycem नामक अनपंजीकृत सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है, जिसकी गुणवत्ता संदिग्ध है और जो फ्लाई ऐश ईंट निर्माण के लिए उपयुक्त माना जाता है। टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र में 53 ग्रेड सीमेंट का उपयोग आवश्यक होता है, पर यहां ग्रेड की जानकारी तक उपलब्ध नहीं है।


रेत की आपूर्ति के लिए पैरी नदी से अवैध खनन हो रहा है और छोटे-छोटे पेड़ों की कटाई कर निर्माण में सहारे के रूप में उपयोग किया गया है। यह सब तब हो रहा है जब टाइगर रिजर्व क्षेत्र में गिरी हुई लकड़ी तक उठाना प्रतिबंधित है।



मशीनों और ठेकेदारों का खेल भी खुला


जांच में यह भी सामने आया है कि निर्माण कार्यों में सरगुजा के एक गेम रेंजर की संलिप्तता है, जो मशीनों और मजदूरों की आपूर्ति कर रहे हैं। अजाक्स और जेसीबी जैसी भारी मशीनें निजी व्यक्ति अजय सोनी की हैं, जिनके मजदूर भी जशपुर से लाए गए हैं।


भविष्य की कार्रवाई पर टिकी निगाहें


अब जब राज्य सरकार ने जांच की शुरुआत कर दी है, पूरे मामले में प्रशासनिक स्तर पर हलचल मच गई है। यदि जांच निष्पक्ष और विस्तृत होती है, तो यह न सिर्फ एक बड़े वित्तीय घोटाले को उजागर करेगी, बल्कि ई-कुबेर जैसी डिजिटल प्रणाली में भी सुधार के लिए एक बड़ा संदेश देगी।




#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!