भरतपुर (एमसीबी)। जिले के भरतपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत पतवाही के ग्राम जरडोल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में स्वीकृत स्टॉप डेम का निर्माण कार्य पाँच वर्षों तक नहीं कराया गया, लेकिन वर्ष 2024-25 में अचानक निर्माण कार्य कराकर संबंधित राशि का आहरण कर लिया गया। यह प्रकरण मनरेगा में गंभीर अनियमितता और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
जानकारी के अनुसार, जिला पंचायत कार्यालय कोरिया द्वारा दिनांक 23 सितंबर 2018 को जारी प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक 52 //MGNREGA/वि.प./2018-19 के तहत ग्राम पंचायत पतवाही ग्राम जरडोल में बनवरिया नाला पर स्टॉप डेम निर्माण कार्य की मंजूरी दी गई थी। योजना की तकनीकी स्वीकृति के बावजूद समय सीमा में कार्य नहीं कराया गया, जबकि नियमानुसार निर्धारित समय में कार्य नहीं होने पर उसे निरस्त किया जाना चाहिए था।
वर्तमान में एमसीबी जिले के भरतपुर पीओ रमणीक गुप्ता से इस संबंध में प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया, परंतु उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
पुराने मामले फिर से चर्चा में, बाउंड्री वॉल निर्माण में भी संदेह
बताया जा रहा है कि जब रमणीक गुप्ता एमसीबी जिले के प्रभारी पीओ के पद पदस्थ थे, तब इसी पंचायत में मनरेगा के अंतर्गत बाउंड्री वॉल निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। शिकायत होने के बाद मामले को दबा दिया गया, लेकिन अब जाकर कार्य शुरू किया गया है। इससे पहले की स्थिति और अब किए जा रहे कार्य में कई सवाल उठ रहे हैं।
फर्जीवाड़े का जाल फैला: एमपी निवासी और सरकारी नौकरी वाले भी उठा रहे लाभ
ग्राम पंचायत पतवाही में कुछ ऐसे लोगों के खातों में मनरेगा की राशि भेजी जा रही है, जो मध्यप्रदेश के निवासी हैं और वहीं से भी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे नाम भी सामने आ रहे हैं जो सरकारी नौकरी में नियुक्त हो चुके हैं, परंतु पिछले 5 वर्षों से अंत्योदय कार्ड का लाभ भी ले रहे हैं और मनरेगा से भी मजदूरी राशि उठा रहे हैं।
पंचायत पर मेहरबान अधिकारी
ग्राम पंचायत पटवाही में अधिकारी मेहरबान है, बाकी दर्जनों पंचायत में तो मजदूरों तक का काम नहीं है, जबकि यहां तो सबसे ज्यादा मटेरियल का काम है, जिसमे गैबियन, पुल, बोल्डर के कार्य है।
कलेक्टर से जांच की मांग
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर से मामले की गंभीरता से जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। यदि जिले में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की व्यापक जांच की जाए तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के खुलासे हो सकते हैं।