नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड सरकार को प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) फंड के कथित दुरुपयोग को लेकर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मामले में अब तक हलफनामा दाखिल करने में विफल रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले फंड को आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और भवनों के जीर्णोद्धार में क्यों खर्च किया गया।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि वन विभाग के इस फंड का इस्तेमाल तकनीकी उपकरणों और अन्य गैर-जरूरी सामान की खरीद में क्यों किया गया।
हालांकि, उत्तराखंड के महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने अदालत में उपस्थित होकर तर्क दिया कि उन्हें लगा था कि मामला बुधवार को सूचीबद्ध नहीं है, इसलिए हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस दलील से असंतुष्ट रहा और सख्त लहजे में कहा, "यह एक गंभीर मामला है। आप या तो तुरंत हलफनामा दाखिल करें या मुख्य सचिव को अदालत में पेश करें।"
कैग रिपोर्ट ने खोला फंड दुरुपयोग का मामला
इस मामले की जड़ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट है, जिसमें खुलासा हुआ कि CAMPA फंड का उपयोग उत्तराखंड के वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण के बजाय महंगे गैजेट्स और दफ्तरों के नवीनीकरण में किया। इस फंड का उद्देश्य वनों की कटाई के बदले में हरित क्षेत्र को बढ़ावा देना और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है, लेकिन इसके दुरुपयोग ने इस योजना की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर न्यायमित्र के रूप में उपस्थित हुए, जबकि उत्तराखंड सरकार की ओर से स्थायी वकील वंशजा शुक्ला ने भी अदालत में पक्ष रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे को हल्के में नहीं लिया जाएगा और राज्य सरकार को जल्द से जल्द संतोषजनक स्पष्टीकरण पेश करना होगा। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उचित जवाब नहीं मिला, तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।