ग्रामीण चिकित्सा सहायकों की रात्रिकालीन ड्यूटी पर आपत्ति, संघ ने सीएमएचओ को निर्देशित करने की मांग, आर.एम.ए. एसोसिएशन का विरोध

Chandrakant Pargir

 


कोरिया। जिले में ग्रामीण चिकित्सा सहायकों (R.M.A) की रात्रिकालीन एवं आपातकालीन ड्यूटी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ आर.एम.ए. एसोसिएशन ने इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कोरिया को निर्देश जारी करने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा है कि उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को केवल प्राथमिक चिकित्सा एवं स्थिरीकरण के लिए ही तैनात किया जा सकता है, जबकि उन्हें जिला अस्पतालों और सिविल अस्पतालों में रात्रि ड्यूटी पर लगाया जा रहा है, जो न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।


आर.एम.ए. एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा बार-बार आदेशों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को आपातकालीन मामलों, एमएलसी केस और गंभीर रोगियों के इलाज का अधिकार नहीं है, इसलिए उन्हें ऐसी ड्यूटी में लगाने से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना बनी रहती है।



न्यायालय के आदेशों की अनदेखी का आरोप


एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश (रिट पिटिशन क्रमांक 930/2001, निर्णय दिनांक 04/02/2020) का हवाला देते हुए कहा कि ग्रामीण चिकित्सा सहायकों की भूमिका सिर्फ प्राथमिक चिकित्सा तक सीमित है और उन्हें रेफरल प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है, जो न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। संघ ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के आदेश (06/01/2020) और संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं के पत्र (20/02/2020 एवं 15/07/2024) में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और उप स्वास्थ्य केंद्र (HWC) में ही पदस्थ किया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), सिविल अस्पताल और जिला अस्पतालों में ड्यूटी पर लगाया जा रहा है।




संभावित जोखिम और विवाद की स्थिति


संघ के अनुसार, गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान चिकित्सा अधिकारियों की जरूरत होती है, लेकिन ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को ऐसी स्थिति में तैनात करने से न केवल मरीजों की जान को खतरा होता है, बल्कि विवाद की भी संभावना बनी रहती है। कई बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जहां रोगियों के परिजन आक्रोशित हो जाते हैं और हिंसक घटनाएं हो सकती हैं। संघ ने यह भी कहा कि ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं के संचालन के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्हें आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में लगाकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है।



मंत्री से हस्तक्षेप की मांग


संघ ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्रों में ही ड्यूटी दी जाए और उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों और जिला अस्पतालों में रात्रिकालीन एवं आपातकालीन ड्यूटी से मुक्त किया जाए। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस संबंध में उचित निर्देश नहीं दिए गए, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और संघ की मांगों को कितनी गंभीरता से लेता है।


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