कोरिया। जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत वितरित किए जाने वाले इंसेंटिव और अन्य प्रोत्साहन राशि में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिले के कई स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी प्रोत्साहन राशि नहीं मिली, जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य सरकार से समय-समय पर करोड़ों रुपये की मांग की गई थी।
बचरा पोड़ी और सोनहत के स्वास्थ्य कर्मियों को पूरे वित्तीय वर्ष का इंसेंटिव नहीं मिला, जबकि कोरिया जिले से अलग हुए मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले में लंबित भुगतान जारी कर दिए गए। बार-बार शिकायत के बावजूद न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही बकाया राशि जारी की गई।
RTI से हुआ बड़ा खुलासा
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी से स्पष्ट हुआ कि तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कोरिया द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) से करोड़ों रुपये की मांग की गई थी, जिसे राज्य सरकार ने मंजूरी भी दी। लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों तक यह राशि पहुंची ही नहीं।
कब-कब मांगी गई राशि और कब मिली?
तत्कालीन CMHO कोरिया द्वारा विभिन्न तिथियों में NHM से राशि की मांग की गई, जिसमें प्रमुख रूप से:
28 अगस्त 2023: ₹5 करोड़
23 अक्टूबर 2023: ₹1 करोड़
22 मार्च 2024: ₹1 करोड़
इस राशि को विभिन्न प्रोत्साहन भुगतान और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं में देने की बात कही गई थी।
वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन रायपुर द्वारा कोरिया जिले को करोड़ों रुपये जारी किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से:
1 सितंबर 2023: ₹5.23 करोड़
10 अक्टूबर 2023: ₹7.60 करोड़
26 नवंबर 2023: ₹9 करोड़
28 नवंबर 2023: ₹9.80 करोड़
27 दिसंबर 2023: ₹10.33 करोड़
7 मार्च 2024: ₹1.60 करोड़
27 मार्च 2024: ₹1 करोड़
28 मार्च 2024: ₹65 लाख
इसके बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों को उनका हक नहीं मिला, जिससे संदेह गहरा गया है कि यह राशि कहां और कैसे खर्च की गई?
शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
बचरा पोड़ी और सोनहत सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने कई बार अपनी लंबित राशि के लिए शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ते रहे। अधिकारियों का कहना है कि यह उनके कार्यकाल का मामला नहीं है, जबकि राशि 2023-24 में आई थी और उसी समय वितरण हो जाना चाहिए था।
बड़ी बात यह है कि अन्य जिलों में बकाया भुगतान हो चुका है, लेकिन कोरिया जिले के स्वास्थ्य कर्मियों को अब तक उनका हक नहीं मिला।
कहां गई करोड़ों की राशि?
यह मामला अब बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा NHM से समय-समय पर करोड़ों रुपये की मांग की गई और राज्य सरकार ने इसे जारी भी किया, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों तक नहीं पहुंचा। यह पूरी राशि कहां और कैसे खर्च हुई?
स्वास्थ्य कर्मियों ने CMHO कार्यालय से लेकर राज्य स्तर तक शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अब सवाल उठता है कि क्या इस घोटाले की निष्पक्ष जांच होगी? और क्या स्वास्थ्य कर्मियों को उनका हक मिलेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।