बैकुंठपुर 9 नवंबर। कोरिया जिले में एक और बाघ की मौत अफसरों की लापरवाही से हो गयी है। बाघ के शव का पोस्टमार्टम के बाद ही उसके मौत की सही वजह सामने आ सकेगी, ग्रामीणों की माने तो बाघ की मौत दो तीन दिन पहले ही हो चुकी है, परन्तु वन विभाग के कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों को इसकी जानकारी तब हुई जब बाघ के शव से दुर्गंघ आने लगी। वही सरगुजा वन वृत के सीसीएफ मौके पर पहुंच कर तफरी करते देखे गए।
जानकारी के अनुसार 8 नवंबर शुक्रवार को दिन के 12 बजे के आसपास सोशल मीडिया में बाघ की मौत की तस्वीरें वायरल हुई जिसके बाद कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसर अपने अमले के साथ ढाई बजे मौके पर पहुंचें, यहां पहुंचकर उन्होने बाघ के चारों ओर बेरिकेटिंग की और बाघ की मौत को लेकर रणनीति बनाते रहे, दिन से 12 बजे की सूचना के बाद सरगुजा वन वृत के सीसीएफ 8 बजे रात पहुंचें। सबसे पहले 6 बजे इनसाइड स्टोरी की टीम कटवार पहुंच चुकी थी, इधर, बाघ की मौत को लेकर वन विभाग में हडकंप मचा हुआ है। वहीं अधिकारियों ने इनसाइड स्टोरी को बताया कि बाघ के नाखून और मूंछें सही सलामत हैै, बाघ पूर्ण व्यस्क नर बाघ है, उसके पहले कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में आवाजाही का रिकार्ड नहीं है। जिससे साफ है कि कही ना कही विभाग बाघ के आने जाने विचरण के कार्य में लापरवाही बरत रहा है।
ऑरेंज एरिया में हुई मौत
आजादी के बाद वन क्षेत्र के सीमांकन से छूटे क्षेत्र को ऑरेंज एरिया कहा जाता है, जहां बाघ की मौत हुई है वह ओरेंज एरिया है हलांकि यह कोरिया वन मंडल में ही आता है, बैकुंठपुर से 80 किमी दूर स्थित ग्राम कटवार के पास निकलने वाले नाले के पास बाघ का शव पाया गया है। मौत के स्थान से लगभग 1 किमी की दूरी पर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान शुरू हो जाता है।
पूर्व में हो चुकी है दो बाघ की मौत
वर्ष 2022 में इसी क्षेत्र में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत रेंज में एक बाघिन की मौत हुई थी, स्थान था ग्राम सलगवांकला, जिसके बाद 4 लोगों को भैस के मांस में जहर देकर बाघ को मारे जाने की बात सामने आई थी और चारों पर विभाग ने कार्यवाही की थी, इसके पूर्व 2018 में इसी क्षेत्र के ग्राम सुकतरा में एक बाघ की मौत सामने आई थी, अब इसी क्षेत्र में बाघ के मारे जाने की तीसरी बड़ी घटना सामने आई है।
बाघ की निगरानी में लापरवाही
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 2019 में जब बाघ की आवाजाही की बात सामने आई तब बाघ के मल के सेम्पल से लेकर उसके पग मार्क को लेकर विभाग एलर्ट मोड पर रहता था, तब से बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ, अब भी पार्क क्षेत्र मे 7 से 8 बाघ विचरण कर रहे है। परन्तु अब ऐसा नहीं हो रहा है। कल जब विभाग के अधिकारी ने मैदानी अमले से बाघ के मूवमेंट को लेकर सवाल किया तो उसने कहा कि परसों की उसके मूवमेंट की जानकारी उसे थी, तब उसने मुनादी करने की बात कही, परन्तु जब उसके मल की जानकारी पर सवाल किया तो उसने चुप्पी साघ ली। मतलब साफ है वर्तमान में पूरे सरगुजा वन वृत का हाल बेहाल है। अधिकारियों की सुस्ती और लापरवाही के कारण लगातार बाघों की मौत हो रही है।
कोई नहीं रहता मुख्यालय में
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान हो या कोरिया वन मंडल इनके ज्यादातर अधिकारी अपने मुख्यालय में नहीं रहते, सिर्फ निर्माण कार्यो में जेसीबी लेकर जंगल में पहुंचा करते है। दूसरी ओर संजय गांधी नेशनल पार्क लगे होने के कारण बाघों की आवाजाही लगातार बढ़ती जा रही है। परन्तु ना तो इससे अधिकारियों को कोई लेना देना है और ना कर्मचारियों को, जिसके कारण बाघों के विचरण की जानकारी किसी को नही रहती है, यही कारण है कि जब बाघ के शव से दुर्गध आने लगी तब विभाग को बाघ के मारे जानकारी मिल सकी।