बैकुंठपुर (कोरिया) एमसीबी और कोरिया जिले में ग्राम पंचायतों में स्वच्छता किट के नाम पर नाममात्र की सामग्री देकर हजारों का बिल निकालने के मामले में खबर में बाद हड़कंप मचा हुआ है, सरपंच सचिव इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे है, वही भुगतान के लिए जिला पंचायत के स्वच्छ भारत मिशन में वर्षों से जमे अधिकरियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, ग्राम पंचायत स्तर पर जल्दी भुगतान करने का दबाव यहां से भी बनाया गया है। इनसाइड स्टोरी की खबर के बाद इस भ्रष्टाचार को लेकर काफी लोगो ने इस बात को स्वीकारा कि ग्राम पंचायतों में बड़े स्तर पर दबाव देकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
क्रय अधिनियम का उल्लंघन
सरकारी दफ्तरों में खरीदी में अपने मनचाहे वेंडर को काम दिलाने क्रय अधिनियम का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है, स्वच्छता किट मामले में कोरिया और एमसीबी जिले की ग्राम पंचायतों में दो वेंडरों के बिल ही क्यों लगे ये बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। बैकुंठपुर की ग्राम पंचायतों में आयुष इंटरप्राइजेज कोरबा का बिल लगाया गया और सोनहत में आरुग एसोसिएट्स, इसी तरह मनेन्द्रगढ़, भरतपुर, खड़गवां में बिल लगाकर दबाव बनाकर भुगतान करा लिया गया है। दोनो ही वेंडर कोरबा के है,जबकि क्रय अधिनियम में पहले स्थानीय स्तर पर खरीदी करना है नही मिलने पर पड़ोस के जिले से, परंतु यहां सीधे तीन कोटेशन बुलाकर सीधे सामग्री भेज राशि निकाल ली गई है। ऐसे में सिर्फ आयुष और आरुग को ही भुगतान किया गया।
आयुष का कैंसिल, आरुग एक्टिव
बीते कुछ वर्षों से फर्जी जीएसटी नंबर डालकर औऱ फर्जी हस्ताक्षर कर सरकारी खरीदी कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, इस मामले में भी आयुष इंटरप्राइजेज का जीएसटी नंबर कैंसिल हो चुका है, जबकि आरुग एसोसिएट्स का एक्टिव है, सूत्र बता रहे है कि आयुष इंटरप्राइजेज द्वारा भुगतान लेने का बाद जीएसटी को बन्द करा दिया गया है। हालांकि मामले में जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
वर्षों से जमे अशिकारियो पर नज़र
जिला प्रशासन को जिला पंचायत के स्वच्छ भारत मिशन के कार्यो पर नज़र रखने की जरूरत है, यहां वर्षों से जमे अधिकारियों पर ग्राम पंचायत में भुगतान का दबाव की बात सामने आ रही है, जबकि लंबे समय से यहां से लगातार सामग्री की खरीदी और ग्राम पंचायतों में सप्लाई को लेकर चर्चा आम है।