एक्सक्लूसिव- कोरिया एमसीबी में स्वच्छता किट के नाम पर बड़ा घोटाला, जनपदों में पदस्थ 15 वें वित्त के बाबुओं और जिला पंचायत के एक अधिकारी ने खेला बड़ा खेल

Chandrakant Pargir


बैकुंठपुर (कोरिया) कोरिया और एमसीबी जिले के पांच जनपदों में पदस्थ बाबुओं ने 15 वें वित्त की राशि मे बड़ा खेल कर दिया, स्वच्छ्ता किट के नाम पर जिला पंचायत के सीईओ से नज़र बचा कर एक अधिकारी से बड़ा खेल खेल दिया। किट के नाम पर एक वेंडर को हर पंचायत से राशि दी जा चुकी है, कुछ जनपदों के सरपंच सचिवों ने राशि देने से इनकार कर दिया तो उनके पंचायत की जांच करने की धमकी दे दी गई।



49300 की स्वच्छता किट


दरअसल, आरुग एसोसिएट्स नाम के वेंडर द्वारा कोरिया की 130 ग्राम पंचायतोंऔर एमसीबी जिले की 233 ग्राम पंचायतों में स्वच्छता किट सप्लाई किया गया, जिसमे  2 सेट कचरा स्टैंड, 2 स्टील की बाल्टी, 2 जोड़ी जूता, 2 दस्ताने, 2 चश्मा, और प्लास्टिक के जैकेट को मिलाकर स्वच्छता किट बनाकर सप्लाई किया गया,  इसकी कुल राशि 49300 रखी गई, जबकि समान को देखने पर बमुश्किल 5 हजार रुपये के आसपास का माना जा रहा है। 



15वें वित्त के बाबुओं का खेला


कोरिया और एमसीबी दोनो जिले की 363 ग्राम पंचायतों में स्वच्छता किट की सप्लाई की गई, जिला पंचायत के अधिकारी ने जनपद पंचायत में 15 वें वित्त के शाखा देख रहे बाबू को इसकी जिम्मेदारी दी, बाबू ने फटाफट अपने जनपद क्षेत्र की सभी पंचायतों में किट की सप्लाई करवा दी और भुगतान भी डाल दिया। ऐसा सभी पांचों बैकुंठपुर, मनेन्द्रगढ़, भरतपुर, खड़गवां और सोनहत में हुआ।



सभी के पासवर्ड बाबुओं के पास


जनपद पंचायतों में राष्ट्रीय योजनाओं की राशि निकालने के लिए हर ग्राम पंचायत को उसका अपना पासवर्ड दिया गया है वही ज्यादातर जनपदों में ग्राम पंचायतों का पासवर्ड 15वें वित्त के बाबुओं ने अपने पास रख रखा है, इसी का फायदा उठा स्वच्छ्ता किट का भुगतान भी कर दिया गया जो सब ऑनलाइन आसानी से देखा जा सकता है। कुछ पंचायत के सचिवों की माने तो जहां किट नही पहुंची है वहां से भी भुगतान निकाल लिया गया है।




जिला और जनपद सीईओ हुए बायपास


15 वें वित्त की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को फारवर्ड की जाती है, और ये सबको पता है कि ये कहा से जाती है और किस किस के हस्ताक्षर होते है, इस घोटाले में जिला पंचायत के सीईओ समेत सभी जनपद के सीईओ को बायपास कर राशि सीधे ग्राम पंचायत को भेजी गई और राशि का आहरण भी सुनियोजित तरीके से कर लिया गया।  जो भुगतान करने से मन करता उसे पंचायत की जांच के लिए तैयार रहने को कह दिया जाता, मामले में जिला प्रशासन को उच्च स्तरीय टीम बनाकर जांच कर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। 


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