बैकुण्ठपुर (कोरिया) 4 सितंबर 24। आज बुधवार को अचानक ओड़गी तिराहे पर चक्काजाम लग गया, सड़क के बीच मे काफी संख्या में बच्चे बैठकर जमकर नारेबाजी करते रहे उनका साथ देने एबीवीपी ने छात्र नेता भी नज़र आए, छात्र लागातर सहायक आयुक्त के खिलाफ भी नारेबाजी कर रहे थे, लगभग 1 घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद अधिकारियों की समझाइश और अधीक्षक को हटाने के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ। जिसके बाद प्रशासन ने चैन की सांस ली।
प्रदर्शन की इनसाइड स्टोरी
दरअसल, कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर स्थित पोस्ट मेट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक ने बच्चो से 1-1 हजार रुपए की मांग की, बच्चो को होस्टल से निकाल देने की धमकी दी, जिसकी शिकायत सभी बच्चो ने सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को की परंतु उन्होंने किसी भी प्रकार की कार्यवाही नही की, तंग आकर बच्चो ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने धरना दे दिया जिसके कारण मुख्य मार्ग पर चक्काजाम लग गया, लगभग एक घंटे छात्र नारेबाजी करते रहे, छात्रों को समझाने आये जिला शिक्षा अधिकारी की एक न सुनी, जब सहायक आयुक्त खुद मौके पर पहुंची तो छात्रों ने उनके सामने उन्हें झूठा करार दे दिया, छात्रों ने उनसे पूछा कि आखिर अपने हमारी बात क्यों नही सुनी, जिस ओर उन्होंने कहा कि उनसे कोई भी शिकायत करने नही पहुंचा है जिसके सभी छात्रों ने एक स्वर में कहा कि वो उनसे मिले पर उन्होंने कहा था कि होस्टल के मामले में कुछ नही सुनूँगी, इस बीच सड़क के दोनो ओर वाहनों की लंबी लंबी कतारें लग चुकी है, स्कूल बस से लेकर कई यात्री बस काफी देर इस प्रदर्शन में फंसे रहे।
अधीक्षक को हटाने की शर्त पर आंदोलन हुआ वापस
सड़क पर बैठे छात्र आदिवासी विभाग के अधिकारी के रवैये से खासे नाराज दिखे, आदिवासी छात्र उन्ही के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे बार बार बोल रहे थे कि आज हम कलेक्टर को इनकी सभी बातें बताएंगे। जिसके बाद मौके पर सबसे पहले जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गुप्ता पहुंचे, उन्होंने कहा कि मामले का हल निकल जायेगा पर उनकी बात छात्रो ने नही मानी,
उनके बाद आए नायाब तहसीलदार ने मामले को सुलझाने का प्रयास किया, छात्रो ने उनकी बातों का पुरजोर तरीके से जवाब दिया, उन्हें वताया की अधीक्षक उन्हें बाहर निकलने की धमकी दे रहा है, काफी बातचीत होती रही जिसके बाद पुलिस आ गई थी, छात्रों और एबीवीपी के छात्र नेताओं को समझाइश देकर मार्ग खोला गया उन्हें छात्रावास अधीक्षक को हटाने ले आश्वासन के बाद छात्रों ने अपना विरोध खत्म किया।
सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग सवालों के घेरे में
कांग्रेस की सरकार के बदलने के बाद भाजपा की सरकार आई परंतु कांग्रेस के समय से पदस्थ अधिकारियों का फेरबदल नही हुआ है, वही सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में बाबू राज चल रहा है अधिकारियों को फील्ड में क्या ही रहा है इससे कोई लेना देना नही है, इस विभाग के तहत किए जा रहे निर्माण भगवान भरोसे है, निर्माण कार्यो के भुगतान की भी जांच जरूरी है। वही बीते 2 वर्षी से तमाम खरीदी के जमकर वित्तीय अनियमितता की जनचर्चा होती रहती है, जिसकी जांच बहुत जरूरी है। नवपदस्थ कलेक्टर की पदस्थापना के बाद विभाग में हलचल तेज हुई है नही तो बीते दो वर्ष के अधिकारी से लेकर पूरा विभाग गहरी नींद के सोया हुआ था।