बंद राइस मिल- दागी अफसरो के जिम्मे रहा है धान खरीदी का पूरा सिस्टम, यदि जांच आगे बढ़ी तो कई आऐगें संदेह के दायरे में

Chandrakant Pargir


बैकुंठपुर (कोरिया) 4 सितंबर। कोरिया जिले के पटना तहसील अतंर्गत मंगलम राइस मिल के बंद रहते 38 हजार क्विंटल से ज्यादा धान के डीओ कटने के मामले से मिलरों के साथ धान खरीदी करने वाले कई प्रबंघक, कई कम्प्यूटर ऑपरेटर से लेकर अधिकारियों में हडकंप मचा हुआ है। यदि मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो कई कर्मचरियों के साथ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होना तय माना जा रहा है। मामले में तीन दिवस के बाद मंगल राइस मिल से अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है अब देखना है उसके जवाब से जिला प्रशासन कितना संतुष्ट हो पाता है।


बंद राइस मिल को लेकर लोगो के मन में कई सवाल खड़े हो रहे है, राइस मिल में आखिर इतनी बड़ी संख्या में धान कैसे पहुंचा, किस ट्रक से पहुंचा, क्या ट्रक बिगडा हुआ तो नहीं है, उसका नंबर को उपयोग तो सिर्फ डीओ जारी करने के लिए नहीं हुआ, तत्कालिन जिला प्रशासन ने धान खरीदी के समय कडाई क्यों नहीं बरती, क्यों तब टीएल में चावल को लेकर राइस मिलर ने प्रषासन से मदद मांगी थी। ऐसे दर्जनों सवाल है जिसे लेकर चर्चा आम है। क्योकि धान खरीदी का काम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं कर सकता है, तकनीकि के साथ हर स्तर पर जांच और मॉनिटरिंग की प्रक्रिया है, इसके बावजूद इतनी बड़ी चूक कैसे हुई, आखिर इसके जिम्मेदार कौन है।


बंद थी मिल तो एग्रिमेंट कैैसे


मंगल राईस मिल के मामले में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह सामने आ रहा है कि जब नियमानुसार मिलर ने बीते वर्ष चावल जमा नहीं किया तो आखिर 2023-24 के लिए एग्रिमेंट कैसे हो गया। आपको बता दे कि धान के पूर्व मिलर से राज्य शासन से एक समझौता होता है , जिसमेें समितियों से मिले धान की कुटाई, ढुलाई और नागरिक आपूर्ति निगम तक चावल पहुंचाने की जिम्मदारी मिलर की होती है। इसके लिए उन्हें हर स्तर पर राशि मुहैया कराई जाती है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर एग्रिमेट के लिए बनी अधिकारियों की समिति ने इतनी बड़ी गलती कैसे की, यह गलती मात्र है या कमाई का जरीया।


दागी अफसरों के जिम्मे रही खरीदी


अधिकारियों में भ्रष्टाचार की लत का षिकार कोरिया भी हो गया। कोरिया जिले में तीन अधिकारियों को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है जिन पर सुरजपुर जिले में पदस्थ रहते बड़ी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप है। कुछ की जांच हो चुकी है कुछ की लंबित है। इसमे सुरजपुर जिले के केरता स्थित महामाया सहकारी शक्कर कारखाना मे पेराई वर्ष 2020-21 में 12 करोड़ 36 लाख शक्कर घोटाले में  तत्कालिन प्रबंध संचालक सहित 17 कर्मचारियों के खिलाफ मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले के एक अधिकारी कोरिया में पदस्थ हैं, वहीं दूसरा अधिकारी भी सुरजपुर जिले में भ्रष्टाचार कर कोरिया जिले मे मौज काट रहे है उन पर धान संग्रहण केन्द्र लोधिमा वर्ष 2019-20 में 92987 बोरी याने 80 हजार क्विंटल धान नहीं पाया गया था, लगभग 21 करोड़ का धान घोटाला सामने आया था। जिसमे डीएमओ सहित कई कर्मचारियों से राशि की वसूली के साथ एफआईआर के निर्देश दिए गए थे, परन्तु मामला अब तक अटका हुआ है। एक अधिकारी और पदस्थ है सूत्र बताते है कि जिन पर आरोप है कि वो फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी कर है जो धान खरीदी के दौरान खुद के सहयोगियों को बड़ा आर्थिक मदद करते है।  


कम हो रहा क्षेत्र, पर बढ़ती जा रही खरीदी


कोरिया जिले की सबसे बड़ी समिति पटना पहले उस क्षेत्र में एक मात्र समिति हुआ करती थी, बाद में गिरजापुर, तरगवां, छिंदिया नई समितियां बनाई गयी, अब पटना को तोड़कर तीन नई समितियों में धान खरीदी जारी है। वहीं पटना धान समिति का क्षेत्रफल कम होने के बाद भी धान खरीदी में लगातार इजाफा होता जा रहा है। 2020 के बाद सिर्फ पटना धान समिति में हर वर्ष लगभग 15 से 20 हजार क्विंटल धान की खरीदी बढ़ते जा रही है। आखिर ऐसा क्यों, दरअसल, इसका गणित समझना इतना आसान नही है। मामले में कई पेंच है जिसे सुलझाने में अधिकारियों का पसीना छूट जाएगा।


1 लाख 34 हजार क्विंटल की खरीदी और 0 सूखती


धान खरीदी समिति पटना में 1 लाख 34 हजार 352 क्विंटल और गिरजापुर में 95 हजार 382 क्विंटल में धान की खरीदी गई। हैरानी की बात यह कि इतना धान खरीदने पर एक दाना भी सूखती नही मिली है। लोगों की मांग है कि दोनों समिति के प्रबंधकों, कम्प्यूटर ऑपरेटर और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को सहकारी संस्थाएं द्वारा रायपुर में सम्मानित करना चाहिए। कोरिया जिले के 20 केंद्रों में लगभग 15 हजार  क्विंटल से ज्यादा धान खरीदी में सूखती दर्ज की गई है। 30 से 40 हजार क्विंटल धान खरीदने वाली समितियों के पास 2 सौ से ढाई सौ बोरा धान की सूखती निकाली गई है, अर्थात धान के सूखने के बाद तौल में कमी आई है। परन्तु 2 केन्द्रों में शून्य सुखती पाई गई है। ऐसा कैसे हो सकता है कि लाखों क्विंटल धान खरीदने के बाद एक भी दाना सूखती न निकले, इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते है कि धान खरीदी कैसे हुई होगी।

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