कोरिया। कोरिया पुलिस द्वारा नए कानूनों को लेकर एक वृहद कार्यशाला का आयोजन जिला मुख्यालय स्थित मानस भवन में किया गया, आयोजन में काफी संख्या में राजनीति, महिलाएं, छात्र, मीडिया, एनजीओ और कई क्षेत्रों के लोगो ने हिस्सा लिया, इस अवसर पर कोरिया एसपी सूरज सिंह परिहार, जिला पंचायत सीईओ और प्रभारी कलेक्टर आशुतोष चतुर्वेदी, एडिशनल एसपी मोनिका ठाकुर, एसडीएम अंकिता सोम सहित कई प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कोरिया एसपी सूरज सिंह परिहार ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता अब नया कानून आ गया है, जो एक जुलाई से अमल में आ जायेगा। समय के साथ बदलाव जरूरी है, इसलिए अब हमें नया कानूनों की जरूरत आ पड़ी, कानूनों के बड़ा बदलाव हुआ है। प्रभारी कलेक्टर ने कहा कि हमारे देश का कानून काफी पुराना रहा है और उंसमे समय समय पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी कुछ कहा है संसोधन भी किया गया है, अपराधों की परिभाषा बदल रही है, अपराध बदल रहे है, जब कानून बना तक सोशल मीडिया नही था तो अब बदलाव की बयार चल रही है इसलिए नया कानून आ चुका है, 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हो रही है।
कार्यशाला का ये रहा मुख्य उद्देश्य
लोक अभियान अधिकारी और सहायक लोक अभियोजन अधिकारी ने नया कानूनों के बारे में विस्तार दे बताया। भारतीय दंड संहिता 1960, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 18 72 का 1 जुलाई से स्थान लेने जा रहे नवीन कानून संहिताओं से अवगत कराने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिनमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 शामिल हैं। कार्यशाला में बताया गया कि इन कानूनों में अपराध की विवेचना, न्यायिक प्रक्रिया तथा सहित सभी प्रक्रियाओं के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। पाक्सो एक्ट में दंड को कठोर किया गया है। वहीं कुछ अपराधों के लिए सामाजिक सेवा के दंड का प्रावधान भी किया गया है। नए कानूनों में आम नागरिकों के हितों की रक्षा के साथ ही अपराधियों के विरुद्ध कठोर दंड के प्रावधानों के संबंध में बताया गया। इसके साथ ही नए कानूनों से महिलाओं के हितों की रक्षा के साथ कुछ अपराधों के लिए किए गए कड़े प्रावधानों के संबंध में भी जानकारी दी गई। यह भी बताया गया कि नए कानून में अपराध की सूचना किसी भी थाने में दिए जाने के साथ ही ई-माध्यम से भी दिए जाने का प्रावधान दिया गया है।
आइए समझते हैं कि इन कानूनों के लागू होने के बाद किस तरह से आपराधिक न्याय प्रणाली में क्या-क्या बड़े बदलाव आएंगे-
भारतीय न्याय संहिता में यह तय होगा कि कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी. आईपीसी कानून में 511 धाराएं थीं जबकि नए बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. नए कानून में 21 नए अपराधों को भी सम्मलित किया गया है।
सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में 531 धाराएं होंगी. नए कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. नए कानून को लाते हुए 14 धाराएं समाप्त भी गई हैं. गिरफ्तारी, जांच और मुकद्दमा चलाने आदि की प्रक्रिया सीआरपीसी में होती है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी, जबकि अभी तक इसमें 166 धाराएं हैं. मुकद्दमे के सबूतों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत ही होगा। नए कानून लाने में 24 घाराओं में बदलाव किया गया है और 2 नई धाराएं भी साक्ष्य अधिनियम में जोड़ी गई हैं। नए कानून में पुरानी 6 धाराओं को समाप्त भी किया गया है।
आतंकवाद, मॉब लींचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाया गया।
नए कानून में 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा के प्रावधान को भी शामिल किया गया है। 6 तरह के अपराधों में कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान भी किया गया है। नये कानून में केस का निपटारा करने के लिए टाइमलाइन होगी। इसमें फॉरेंसिक साइंस के इस्तेमाल का भी प्रावधान होगा।
राजद्रोह को अब अपराध नहीं माना जाएगा। नए कानून की धारा 150 के तहत एक नया अपराध जोड़ा गया है। इसके तहत भारत से अलग होने, पृथकावादी भावना रखने या भारत की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुँचाने को अपराध बताया गया है. यह देशद्रोह का अपराध होगा।
नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
नए कानूनों में नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है. नए कानूनों के तहत जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जाएगा।
पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में किया गया है। इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे।