रायपुर, 17 जून। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने सूरजपुर जिले के तहसीलदार श्री संजय राठौर के निलंबन को अन्यायपूर्ण बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की है। संघ ने इसे न्याय प्रक्रिया और प्रशासनिक मर्यादाओं के विरुद्ध बताते हुए सरकार से तत्काल बहाली की मांग की है।
संघ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि तहसीलदार और नायब तहसीलदार सीमित संसाधनों और भारी स्टाफ संकट के बीच राजस्व प्रशासन का समूचा भार वहन कर रहे हैं। बावजूद इसके, बिना समुचित जांच और सुनवाई के सीधे निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई, अधिकारियों के मनोबल को तोड़ने वाली है।
प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है कि तहसीलों में ई-कोर्ट, भुइयां, एग्रोस्टेक पोर्टल, जनदर्शन, निर्वाचन कार्य, प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रियाएं एवं अन्य ऑनलाइन कार्य प्रणाली चल रही है, परंतु इनमें सहयोग हेतु न तो पर्याप्त तकनीकी स्टाफ है और न ही कंप्यूटर ऑपरेटर या अन्य जरूरी संसाधन। अधिकारी निजी संसाधनों से काम कर रहे हैं और उसी स्थिति में भी जब कोई शिकायत आती है तो उन्हें बिना सुनवाई के निलंबित कर दिया जाता है।
संघ का कहना है कि तहसीलदार राजस्व न्यायालय में पीठासीन अधिकारी होते हैं, जिनके आदेशों के विरुद्ध अपील व पुनरीक्षण के वैधानिक प्रावधान हैं। ऐसे में न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम की भावना के विरुद्ध जाकर इस प्रकार की कार्यवाही न्याय और प्रक्रिया दोनों का हनन है।
प्रमुख मांगें:
1. तहसीलदार श्री संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए।
2. पूर्व में निलंबित अन्य अधिकारियों की न्यायसंगत समीक्षा कर उन्हें बहाल किया जाए।
3. प्रदेश की प्रत्येक तहसील में तकनीकी स्टाफ, वाहन, कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे न्यूनतम आवश्यक संसाधन तत्काल उपलब्ध कराए जाएं।
संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि आगामी सात दिवसों के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो प्रदेशव्यापी आंदोलनात्मक रणनीति अपनाई जाएगी।