बैकुंठपुर (कोरिया) 27 अगस्त। इनसाइड स्टोरी की खबर एक बार फिर सही साबित हुई है, कलेक्टर ने जिस आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पटना के कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्ति के निर्देश दिए थे, जिस पर सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं कोरिया के द्वारा सेवा से पृथक करने का आदेश जारी किया था, हमने बताया था कि उक्त ऑपरेटर को बचाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय से स्टे लेने का समय दिया जा रहा था और उसे स्टे के लिए माननीय उच्च न्यायालय भी भेजा गया था और अब खबर यह है कि उसे माननीय उच्च न्यायालय से स्टे मिल गया है। जो कि एक बड़ी अंतरिम राहत है।
क्या कहा है स्टे पर माननीय उच्च न्यायालय ने
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पटना के कम्प्यूटर ऑपरेटर को स्टे देते हुए अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने बताया है कि सहकारी सोसायटी सेवा अधिनियम की धारा 6, भर्ती एवं चयन कमेटी को सेवा से पृथक करने या हटाने का अधिकार है। इस कमेटी में 5 सदस्य होते है उसका हवाला भी अपने आदेश में दिया है। इसके लिए नियुक्तिकर्ता कमेटी या बोर्ड ही उसे पृथक कर सकती है। माननीय न्यायालय ने अगली सुनवाई तक मामले में स्टे देते हुए अंतरिम राहत प्रदान की है। कहा है कि कलेक्टर को सेवा से पृथक करने का अधिकार नहीं है। सरकारी विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि कलेक्टर का आदेश नही निर्देश था।
मामले की इनसाइड स्टोरी
मामले की इनसाइड स्टोरी यह है कि कलेक्टर ने किसानों के खाद बीज की जानकारी लेने वो जिले के सबसे बड़ी सहकारी समिति पटना का औचक निरीक्षण किया। जहां उन्होनें कई अनियमिततााएं पाई और जिसके बाद जांच के लिए एसडीएम को भेजा, एसडीएम की रिपोर्ट पर सहकारी संस्थाए कोरिया के सहायक पंजीयक को प्रबंधक को निलंबित और कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्त करने के निर्देश दिए, परन्तु सहकारी संस्थाए कोरिया के अधिकारियों ने बड़ी चतुराई दिखाई और बिना कोरम पूरा किए सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया, ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे, दूसरी ओर उक्त आपरेटर को रोजाना अपने कार्यालय में बिठाकर माननीय उच्च न्यायालय जाने के लिए नियम कानून बताकर भेजा, ताकि उसे बचाया जा सके।
मातहत कर्मचारी ही है मनोनीत अध्यक्ष
इस मामले की इनसाइड स्टोरी की आगे की कड़ी है समिति के अध्यक्ष, दरअसल, पहले आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में चुने हुए सदस्य को अध्यक्ष बनाया जाता था, हाल में आई भाजपा सरकार के सहकारिता विभाग ने प्रदेश के समस्त सहकारी समिति के अध्यक्षों को हटा दिया। उसी आदेश के तहत सहकारी संस्थाएं कोरिया के सहायक पंजीयक द्वारा आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पटना के तत्कालिन अध्यक्ष को हटा कर उन्ही के कार्यालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी को मनोनीत अध्यक्ष बना दिया गया। यह सरकार की तत्कालित व्यवस्था थी। मामले को बेहद गंभीरता से समझने की जरूरत है, सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने अपने की मताहत कर्मचारी जो तत्कालिक व्यवस्था के तहत अध्यक्ष है, वो ही आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पटना के प्राधिकृत अधिकारी भी है, उन्हें ही पत्र लिखकर कार्यवाही करने के लिए आदेशित किया गया, अब क्रोनेालॉजी समझिये सहकारी संस्थाएं कोरिया के सहायक संचालक के 8 अगस्त के आदेश का परिपालन 23 अगस्त तक क्यों नही हुआ इसे आसानी से समझा जा सकता है।
कलेक्टर को किया भ्रमित
न्याय पाने के लिए न्यायालय जाना कोई गलत फैसला नही है, न्याय की उम्मीद बस वहीं जाकर टिकती ही है। परन्तु यहां कुछ ऐसा हुआ जिसका खुलासा जरूरी है। सहकारी संस्थाएं के अधिकारियों ने कलेक्टर के निर्देश पर नियमों का ध्यान रखकर कार्यवाही नहीं की। यदि कोरम पूरा किया होता तो कार्यवाही को सही बताया जाता, ऐसा ही मामला एमसीबी जिले के कोटाडोल समिति के प्रबंधक का भी है, यहां भी सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने बिना कोरम पूरा किए उसे हटाने का आदेश जारी कर दिया, उसे भी माननीय न्यायालय ने राहत प्रदान की है। दोनों ने स्टे लाकर एमसीबी और कोरिया जिला प्रशासन को चुनौति दे डाली है अब देखना आगे क्या होता है।