बड़ी वित्तीय अनियमितता करने वालो को विभागीय अधिकारी ही लगे है बचाने में, भेज रहे है स्टे लेने कोर्ट, मामले में एफआईआर दर्ज न करने प्रशासन पर बना हुआ है राजनैतिक दबाव

Chandrakant Pargir

 


एमसीबी/ कोरिया। एमसीबी जिले के कोटोडोल की धान खरीदी समिति के जिस प्रबंधक को एमसीबी कलेक्टर के निर्देश पर हटाया गया था, सूत्रों की माने तो उसे कोरिया जिला स्थित सहकारी संस्थाएं के विभागीय अधिकारियों ने नियम कानून बता कर उसे कोर्ट भेज स्टे दिलवाने में पूरी मदद की और अब बुधवार को उसे वापस कोटाडोल में पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया। इसी तरह हाल ही में नवपदस्थ कोरिया कलेक्टर के निर्देश पर पटना समिति प्रबंधक को निलंबित और कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्ति का आदेश दिया था उन्हें भी सहायक पंजीयक कार्यालय में बिठाकर कलेक्टर के आदेश के विरूद्ध कोर्ट भेजा गया है ताकि विभाग के कर्मचारियों को बचाया जा सके। जब हमने इस संबंध मे सहकारी संस्थाएं के प्रमुख से सवाल किया कि आखिर लाखों रूपए के घोटालोबाजों पर इतनी रियायत क्यों तो उनका कहना है कि नियमों के हिसाब से कार्यवाही नही हुई है तो वो कोर्ट जाएगें ही, हमने पूछा कि नियमों की जानकारी जिला प्रमुख को देकर कार्यवाही करवाना था तो उनका कहना था कि अभी करो जल्दी कार्यवाही करो के कारण हडबड़ी में नियमों का ध्यान नहीं रखते हुए कार्यवाही की गई है। अब देखना है मामले में एमसीबी कलेक्टर घोटालेबाजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा पाते है या नहीं और कोरिया जिला प्रशासन किस तरह की कार्यवाही करता है।


इस संबंध में भरतपुर सोनहत विधानसभा के समाजिक कार्यकर्ता राकेश बर्मन का कहना है कि कोटाडोल का मामला माननीय मुख्यमंत्री जी तक पहुंचा है, अब हम सब मामले को धरना प्रदर्शन करेंगे और समिति प्रबंधक के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग करेगें, हमें इस बात की जानकारी थी कि विभागीय अधिकारी ही ऐसे प्रबंधकों को बचाने में जुटे हुए हैं। मामलें मे जिला सहकारी बैंक जनकपुर की भूमिक वर्तमान में भी संदिग्ध बनी हुई है।


एमसीबी जिले के कोटाडोल समिति से हटाकर सिगरौली भेजे गए प्रबंधक को वापस कोटाडोल में पदस्थ कर दिया गया है, इसका  आदेश सहकारी संस्थाएं के सहायक पंजीयक ने जारी कर दिया है। मामले में कोर्ट के स्टे का हवाला दिया गया है। जबकि उन पर प्रधानमंत्री मोदी की महती योजना उज्जवला में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं के साथ 32 लाख की धान खरीदी में वित्तिय अनियमिततताएं की जानकारी जांच प्रतिवेदन में सामने आ चुकी है, दर्जनों गरीब व आदिवासी किसानों ने एमसीबी कलेक्टर को शिकायत की थी कि उन्हें पता नहीं और उनका लोन निकल गया है, जिला सहकारी बैंक जनकपुर से उनके फर्जी हस्ताक्षर कर राशि का भी आहरण कर लिया गया है। वही अब तक वो किसान बैंक से अपना स्टेटमेंट मांगने जा रहे है तो बैंक उनका अपना स्टेटमेंट नहीं दे रहा है। मामले में जिला सहकारी बैंक जनकपुर की भूमिका बेहद संदिग्ध है, जिला सहकारी बैंक ने मैनेजर को हटा कर मामले में कोई कार्यवाही नहीं की है।


कोरिया में भी बचाने की जारी है कोशिश


हाल ही में कोरिया कलेक्टर के निर्देश पर सहकारी संस्थाएं के सहायक पंजीयक ने आदेश जारी कर पटना धान समिति के प्रबंधक और कम्प्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ कार्यवाही की थी, प्रबंधक को निलंबित जबकि कम्प्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्ति करने का आदेश जारी किया गया था, परन्तु अब सूत्र बता रहे है कि  विभागीय अधिकारी खुद के आदेश को बिना नियमों और हड़बड़ी में किया गया आदेश बता रहे है और कार्यवाही को रोकने कोर्ट भेज रहे है ताकि उन्हें स्टे मिल सके। बताया जाता है कि सहकारी संस्थाएं में कार्यवाही के पूर्व समिति के अध्यक्ष व सदस्यों की बैठक बुलाकर कोरम पूरा किया जाता है, ऐसा ना करते हुए कार्यवाही करवा कर अपने कर्मचारियों को बचाने की रणनीति पर काम किया जाता है ताकि सापं भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

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